भगत कबीर का जीवन और रूपक संदेश।

भगत कबीर भक्ति लहर के इंक़लाबी संतों में सबसे ज़्यादा हवाला दिये जाने वालों में शामिल हैं। वह एक ग़रीब जुलाहा परिवार से थे और अपने समय के सबसे प्रसिद्ध तर्ज़मानों में शुमार थे। उनका जन्म वाराणसी में वर्ष १३९८ ईस्वी में हुआ था। भगत कबीर को बचपन में ग़रीबी में जीवन गुज़ार रहे एक मुस्लिम परिवार ने पाला था। नीरू और नीमा उनके पालन करने वाले माता-पिता थे जो जुलाहे का काम करते थे। भगत कबीर ने सन्यास के मुकाबले में गृहस्थ का मार्ग चुना और जुलाहे के तौर पर कमाई करते हुये सांसारिक दायित्वों का निर्वाह किया। इस दौरान उनका ध्यान रूहानी गहराइयों में उतरा रहता था। भगत कबीर इंकलाबी थे। उन्होंने मज़हबी इंतज़ामिया, मज़हबी अदाराबंदी और कर्मकांडों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई। इन्हें वह ख़्यालों की घेराबंदी मानते थे और यह उन्हें ज्ञान प्राप्ति के राह में रोक लगाते थे।

 

भगत कबीर का रूहानी संदेश गुरु ग्रंथ साहिब में उनके ४७१ सबदों में दर्ज है।

शिक्षा संसाधन - भगत कबीर।

भगत कबीर के ४७१ सबदों पर आधारित शैक्षिक सामग्री जून २०२५ से दिसंबर २०२८ के बीच चरणबद्ध तरीके से जारी की जा रही है।

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भगत कबीर सबद (१ - १०)

भगत कबीर – सबद १

जननी जानत सुत बडा होत है इतना कु न जानै जि दिन दिन अवध घटत है ॥

राग सिरिराग, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ९१

भगत कबीर – सबद २

अचरज एक सुनहु रे पंडीआ अब किछ कहन न जाई ॥

राग सिरिराग, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ९२

भगत कबीर – सबद ३

अब मोहि जलत राम जल पाइआ ॥

राग गउड़ी गुआरेरी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२३

भगत कबीर – सबद ४

सुख मांगत दुख आगै आवै ॥

राग गउड़ी गुआरेरी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३३०

भगत कबीर – सबद ५

अहिनिस एक नाम जो जागे ॥

राग गउड़ी गुआरेरी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३३०

भगत कबीर – सबद ६

माधउ जल की पिआस न जाइ ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२३

भगत कबीर – सबद ७

जब हम एको एक कर जानिआ ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२४

भगत कबीर – सबद ८

नगन फिरत जौ पाईऐ जोग ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२४

भगत कबीर – सबद ९

संधिआ प्रात इस्नान कराही ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२४

भगत कबीर – सबद १०

किआ जप किआ तप किआ ब्रत पूजा ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२४

भगत कबीर – सबद ११

गरभ वास महि कुल नही जाती ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२४

भगत कबीर – सबद १२

अंधकार सुख कबहि न सोई है ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२५

भगत कबीर – सबद १३

जोत की जात जात की जोती ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२५

भगत कबीर – सबद १४

जो जन परमित परमन जाना ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२५

भगत कबीर – सबद १५

उपजै निपजै निपज समाई ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२५

भगत कबीर – सबद १६

अवर मूए किआ सोग करीजै ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२५

भगत कबीर – सबद १७

असथावर जंगम कीट पतंगा ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२५

भगत कबीर – सबद १८

ऐसो अचरज देखिओ कबीर ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२६

भगत कबीर – सबद १९

जिउ जल छोड बाहर भइओ मीना ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२६

भगत कबीर – सबद २०

चोआ चंदन मरदन अंगा ॥

राग गउड़ी, भगत कबीर, गुरु ग्रंथ साहिब, ३२६